मथुरा भंडारा
मथुरा यात्रा,हम सभी रामाश्रम सत्संगी भाइयो के लिए मथुरा और टूंडला का महत्व देश के चारो धाम में सबसे अच्छा पवित्र स्थान है। क्यों कि मथुरा यह हमारे श्री गुरु महाराज जी का जन्म स्थान है. और टूंडला परम पूज्य पंडित मिही लाल जी महाराज का जन्म स्थान है.यह मैं कह नहीं रहा हूँ वहाँ जो भी गए है उनका कहना है एवं उनके अनुभव में यह आया है मैं रामाश्रम सत्संग एक बहुत छोटा शिष्य हूँ. लेकिन मै मथुरा और टूंडला कभी नहीं गया था.। प्रत्येक साल यहाँ भंडारा का आयोजन मथुरा या टूंडला में होता है , लेकिन नहीं जा पाने की वजह से मै अपने आप को बहुत कोसता हु , बहुत दुख होता है., हमेशा मन में सोचा करता हु , क्यों गुरु महाराज मुझे नहीं बुला रहे है ? क्यों उन्हें अपने जन्म स्थान को दिखाने के लिए पसंद नहीं है? क्यों मैं भंडारा के समय कष्ट में पर जाता हु
इस चालू वर्ष 2013 में महा शिव शिवरात्रि के अवसर पर साधन पत्रिका में आया, की भंडारा 8 मार्च – 10 मार्च को हर साल की तरह होगा , मैं मथुरा के भंडारा में शामिल होने की योजना बनाई । .मेरे लिए यह योजना गुरु की कृपा से हुइ जो यह मेरे जीवन के लिए पहली बार था. मैं
आरक्षण टिकट लिया। और मै मथुरा पहुंच गया.। ऑटो रिक्शा से मैं साधन प्रेस पहुंच गया. वहा एक भाई परिसर का वितरण कर रहे थे, . उन्होंने मुझे द्वारिकाधीश मंदिर के पास ,यमुना नदी के किनारे बंगाली घाट पर स्थित राधेश्याम धर्मशाला में जगह दिया , रामाश्रम सत्संग ध्यान की प्रणाली पर आधारित है., जिसे आंतरिक सत्संग कहा जाता है , गुरु महाराज ने ध्यान को बहुत ही आसान बना दिया है.यह बहुत ज्यादा ही आसान है ,इसे किसी भी स्थान पर किसी भी समय किया जा सकता है , इसे कोई भी आसानी से कर सकता है । पूज्य गुरू महाराज जी हमेशा कहते थे की जिस तरह उन्हें यह ज्ञान बहुत ही आसान तरीके से मिली है, वे चाहते थे की उनके अपने शिष्य भी बहुत आसानी से इसे प्राप्त करे ,. मैं अपने पुराने भाई से सुना था , एक बार गुरु महाराज भंडारा के उद्देश्य से पटना आये थे .
शिष्य की संख्या बहुत ही कम थी , वहाँ शिष्य की बहुत कम संख्या देख कर कार्यकर्ता लोग काफी उदास लग रहे थे , गुरु महाराज ने आयोजक से कहा, चिंता की कोई नहीं , मैंने बीज बो दिया है जब समय आएगा यह फल देगा ..आज हम सभी भाई गुरु महराज द्वारा कही बातों को देख रहे है हम सभी वो फल देख रहे हैं., देश के लगभग प्रत्येक भाग से श्रद्धालु भाई यहाँ आते है ,संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गयी है की जगह बहुत कम पड़ रही है, मै सत्संग में बैठने के लिए आया तो जगह नहीं मिल पा रही थी
गुरु महाराज के घर के सामने सड़क पर श्रद्धालु भाई बैठे हुए थे , समूचा सडक भरा हुआ था ,किसी तरह से गुरु महराज के घर के सामने एक गली में नाला के पास थोड़ा सा जगह मिला , मैंने इसके लिए गुरु महराज को लाख -लाख धन्यवाद दिया , जिस दरवार में बैठा था , इसका तुलना स्वर्ग से भी नहीं किया जा सकती ,ऐसी महिमा है इस गुरु धाम की ।
बहुत ज्यादा शांति, बहुत स्थिरता, आत्मा की बहुत ज्यादा प्रकाश , मैं कह सकता हूँ, कोई अन्य स्थानों पर ऐसा संभव नहीं ,इस कलियुग में , सतयुग का अनुभव कर लेना कोई मामूली बात नहीं ,इसे कोई भी महसूस कर सकते हैं, यह सिर्फ गुरु महाराज का आशीर्वाद है ,मौन उपदेश एवं आंतरिक ध्यान का बर्णन हमारे ऐसे साधारण आदमी के लिए अति कठिन है, पांच बैठक की यह भंडारा होती है , अगर सभी कुछ ठीक ठाक रहा तो अल्प समय में ही कोई साधक इस ज्ञान को बड़े ही आसानी से प्राप्त कर सकता है , और भी बाते है ,ये साधन से नहीं होगा
ये साधना से नहीं होई, तुम्हारी कृपा पावे कोई -कोई
यहां के सत्संग में सिर्फ एक बार बैठने पर एक नयी ऊर्जा मिलती है., जो प्रभु दर्शन कराने के लिए आवश्यक है, समय निकल कर रामाश्रम सत्संग में जाने की चेष्टा करनी चाहिए।
मथुरा भगवान कृष्ण के जन्म स्थान के लिए भी प्रसिद्ध है भारत में उत्तर प्रदेश में स्थित है, यह बहुत अच्छा और ऐतिहासिक जगह है., रहने के लिए अच्छा है और सस्ते होटल और धर्मशाला भी बहुत हैं. परिवहन बहुत अच्छी है, नई दिल्ली मथुरा से सिर्फ 102 किमी दूर है. ताज महल भी मथुरा से केवल 62 किलोमीटर पर है ।
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