15 .05 .2013
माँ वैष्णो देवी यात्रा
सच ही कहा गया है की जब माँ का बुलावा आता है , तब ही कोई माँ के दरवार में जा सकता है,
माँ जिसे याद करती है ,वो बरे ही किस्मतवाले होते है । माँ के दरवार में जाने का मन में बहुत ही लालसा हमेशा रहती थी , लेकिन ऐसा मौका ही नहीं मिलता था ।
हमेशा माँ से मन ही मन प्रार्थना करता रहता था , माँ कम से कम एक बार अपने दरवार में बुला लो , माँ वैष्णोदेवी का फोटो भी अपने टेबल के शीशे के नीचे रख कर बराबर प्रार्थना करता रहता था ,करीब दो वर्षों के बाद वह शुभ घरी आयी , माँ का बुलावा आया ,मन ही मन बहुत ही खुश हो कर , माँ वैष्णोदेवी के दरवार में जाने की तैयारी करने लगा ,
जम्मु का रिजर्वेशन टिकट भी आसानी से मील गया , जम्मु पहुच कर बस से कटरा पंहुचा ,होटल बुक करवाया एवं माँ के दर्शन हेतु टोकन लेना अनिवार्य होता है , टोकन लिया एवं शाम के ६ बजे कटरा से बान गंगा एवं बान गंगा से ऊपर पहार की चढ़ाई शुरू कर दी , कटरा से 1२ किलो मीटर की चढ़ाई है ,सवारी का अच्छा इंतजाम किया हुआ है, घोरा , पालकी या हेलीकाप्टर से भी जाया जा सकता है , लेकिन पैदल चलना एवं माँ के जयकारा का उदघोष करते जाना , बहुत ही अलौकिक प्रतीत होता है,
मेरा तो मत है की अगर स्वास्थ ठीक ठाक है तो माँ के दरवार में पैदल ही जाना अति फलदायी है ,सुवह के ४ बजे मै माँ के दरवार में पहुच गया एवं प्रातः दर्शन का आनंद लिया , उस के बाद हल्का नास्ता लेने के बाद भैरो मंदिर के लिए प्रस्थान किया , ऐसी मान्यता है की अगर माँ वैष्णोदेवी के दर्शन के पश्चात् भैरोमंदिर का दर्शन ऩा किया गया तो आधा ही फल मिलता है, एवं माँ वैष्णोदेवी की यात्रा अधुरी ही कही जायगी ,
पैर तो चलते -२ बिलकुल जबाब दे चुका था, हिलने डुलने की भी कोई सामर्थ नहीं थी , फिर माँ की कृपा हुई , पैदल ही चल दिया , २ किलो मीटर के बाद भैरोमंदिर आया एवं वहा भी पूजा अर्चना की, खाना भी वही खाया ,२ ,३ घंटे विश्राम के बाद फिर निचे उतरने की तैयारी करने लगा ,
ऐसी मान्यता है की भैरो नाथ ने मरते समय माँ वैष्णोदेवी से कहा था की माँ आपको देखने तो सभी लोग आयेगे , परन्तु मेरे लिए कोई नहीं आयेगा , सारा संसार मुझे गाली ही देगा , तभी माँ वैष्णोदेवी ने उसे आशीर्वाद दिया की अगर श्रद्धालु तुम्हारे दर्शन को नहीं आयेगे तो उनकी यह यात्रा अधूरी ही समझी जायेगी एवं दर्शन का पुरा फल उन्हें नहीं मिलेगा ,
माँ वैष्णोदेवी आप सभी पर अपनी कृपा दृष्टी बनाये रखे , यही माँ से प्रार्थना है.